कही आप भी, भगत होकर गलती तो नहीं कर रहे हो❓

परमपुज्य सतगुरु देव संत रामपाल जी महाराज जी के इतने आध्यात्मिक प्रवचनों के बाद, हमारे में से लाखों भक्त ऐसे है जो आज भी भोजन खाने से पहले व् बाद में अन्न देव की आरती नहीं करते होंगे ❓

भोजन खाने से पहले व् भोजन खाने के उपरान्त अन्न देव की आरती करने के सतगुरु देव जी के विशेष आदेश है, सतगुरु देव जी ने काफी सत्संगों में विशेष तौर से कहा हुआ है कि......

खाना खाने के पहले व् उपरान्त अन्न देव की आरती अवश्य करनी चाहिए, चाहे बोलकर करे या मन ही मन में करे,

गीता जी अध्याय 3 के श्लोक 13 में  भी कहा गया है कि पूर्ण परमात्मा को भोग लगाने के बाद जो यज्ञ का बचा हुआ अन्न खाते है वे साधु सभी पापो से बच जाते है,  लेकिन जो व्यक्ति अपने शरीर पोषण के लिये ही अन्न खाते है वे तो समझो पाप को खा रहे होते है,





सर्व विदित है कि हमारे इर्द गिर्द सुक्ष्म रूप में अनेको बुरी शक्तिया जैसे, भूत, बेताल, पिसाच, प्रेत, पितृ, आदि विद्धमान रहते है और सुक्ष्म रूप में हमारी भक्ति खंडित करने के लिए क्या क्या हरकते करते है जो हम देख नहीं पाते है, उन शक्तियों से बचाव का एक मात्र कारगर उपाय केवल सतगुरु देव जी द्वारा प्रदत्त सतभक्ति है

और अन्न देव की आरती उसी सतभक्ति का एक अहम् हिस्सा है जो करना अति आवश्यक है,

सतगुरु देव जी ने बताया कि....अन्न जल साहेब रूप है....

वैसे तो एक भक्त अन्न जल पर संयम रखते हुए नियमित समय और नियमित रूप में ही भोजन ग्रहण करता है, क्योंकि अधीक खाने वाला व् बार बार खाने वाला भी पशु श्रेणी में आता है चाहे भगत हो या जगत,

अतः मालिक की दी हुई बुध्दि से लगता है हम जब भी कुछ खाये पियें उस समय अन्न देव की दोनों आरती अवश्य करनी चाहिए,

👆उक्त विचार सतगुरु देव की के अमर वचनों से लिए गए है, कोई दबाव स्वरुप नहीं है अतः जिसको समझ में आये अवश्य करे, क्योंकि परमेश्वर का मार्ग दबाव का नहीं बल्कि ज्ञान आधार पर है ।

सत साहेब।।

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