पूर्ण परमात्मा स्वयं सतगुरु रुप में हम तुच्छ जीवों को सतभक्ति की महिमा का बखान करते हूए कहते हैं कि :-
सदा दीवाली संत की, आठों पहर आनन्द |
अकलमता कोई उपजा, गिने इन्द्र को रंक ।।
अर्थात हमें यहॉ की चार दिन का टिमटिमा, शोर-शराबा और लोक-दिखावा वाली नकली दीवाली कभी नहीं सुहाती |
नानक साहेब कहते हैं :-
ना जाने काल की कर डारे, किस विधि ढल जा पासा वे |
जिन्हॉ के सिर पर काल खुड़गदी, उन्हानूँ केड़ा हॉसा वे ||
हम तो पूर्ण-परमात्मा के रंग में रंगे, संग में सने और आठों पहर सतभक्ति के रस से सराबोर आनंद के सागर में गोंता लगाने वाले दीवाली के दीवाने हैं, जिस पुऩ्यात्मा को इस दीवाली का एक छींटा भी लग जाए न, उसे तो यहॉ के सबसे बड़े सुख, वैभव, मान, प्रतिष्ठा व धन {त्रिलोक के स्वामीयों की पदवी व स्वर्ग/इन्द्र की गद्दी} भी तुच्छ नजर आती है |
क्यों कि मेरे सतगुरु के तत्वग्यान की रोशनी में इन छोटे-मोटे स्वामीयों, इन भोले जीवों की आगे होने वाली दुर्दशा स्पष्ट नजर आती है |
"इन्द्र का राज काग का विष्ठा, ना भोगूँ इन्द्राणी नूँ"
मेरे "सतगुरु रामपाल जी साहेब" की महिमा का बखान किन शब्दों में करुँ कि जिनके चरणों के धुल की महिमा (तत्वग्यान) ने इस तुच्छ जीव को कौंआ से हन्स बना दिया| जो नीर व क्षीर को अलग-अलग करके केवल तत्व को ही ग्रहण करता है |
मेरे सतगुरु ने ऐसा राह/शास्वत स्थान बता/दिखा दिया है, जो देश-दुनिया, समाज व कुल-परिवार की आधारहीन रीति-रिवाजों व आडम्बरों को छोंड़कर परमात्मा के संविधान {वेद, गीता, बाईबल, कुर्आन-शरीफ व गुरुग्रंथ-साहिब} से प्रमाणित तत्वग्यान से उस एक ही पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त कर दिया है कि जहॉ जाने के बाद जीव पुनः इस संसार (जन्म-मरण/चौरासी) में नहीं आता |
उस परमधाम/सतलोक की महिमा बताते हूए सतगुरु कहते हैं कि :-
शंखों लहर मेहर की ऊपजे, कहर नहीं जहॉ कोई |
दास गरीब अचल अविनाशी, सुख का सागर सोई ||
और हम भूले हूए जीवों को जगाते हूए कहते हैं कि :-
मन तू चल रे सुख के सागर, जहॉ शब्द सिंधु रत्नागर ||
ऐ मुसाफिरों जागो!!! ऊपर से सजी और अंदर से खोखली, यहॉ के नाशवान व झूठी बकवासों में उलझकर यह अनमोल मानव जनम के यूँ ऐसे बरबाद न करो| आप अपने मूल पिता/सत्य को नहीं जानने के कारण (त्रिगुणी) नशे में इसी झूठे संसार को और यहॉ के आधारहीन रीतिरिवाजों को सच्चा समझ बैठे हो | जब आपको भी यह सतग्यान हो जाएगा तो आप भी दुनिया के बकवासों को छोंड़कर इसी राम में रम जाओगे |
इसलिए यह दास हाथ जोंड़कर आपसे निवेदन करता है कि "साधना चैनल" पर हमारे परमपिता ने नीर और क्षीर को अलग-अलग करके बता रहे हैं, अवश्य समय निकालिए और प्रतिदिन सायं ०७:४० से ०८:४० तक "जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज" का तत्वग्यान को जरुर श्रवण करें और अपना कल्याण करें |
_/\__/\__/\_सत साहेब_/\__/\__/\_
#रामभजन_बिन_कैसीदिवाली
सदा दीवाली संत की, आठों पहर आनन्द |
अकलमता कोई उपजा, गिने इन्द्र को रंक ।।
अर्थात हमें यहॉ की चार दिन का टिमटिमा, शोर-शराबा और लोक-दिखावा वाली नकली दीवाली कभी नहीं सुहाती |
नानक साहेब कहते हैं :-
ना जाने काल की कर डारे, किस विधि ढल जा पासा वे |
जिन्हॉ के सिर पर काल खुड़गदी, उन्हानूँ केड़ा हॉसा वे ||
हम तो पूर्ण-परमात्मा के रंग में रंगे, संग में सने और आठों पहर सतभक्ति के रस से सराबोर आनंद के सागर में गोंता लगाने वाले दीवाली के दीवाने हैं, जिस पुऩ्यात्मा को इस दीवाली का एक छींटा भी लग जाए न, उसे तो यहॉ के सबसे बड़े सुख, वैभव, मान, प्रतिष्ठा व धन {त्रिलोक के स्वामीयों की पदवी व स्वर्ग/इन्द्र की गद्दी} भी तुच्छ नजर आती है |
क्यों कि मेरे सतगुरु के तत्वग्यान की रोशनी में इन छोटे-मोटे स्वामीयों, इन भोले जीवों की आगे होने वाली दुर्दशा स्पष्ट नजर आती है |
"इन्द्र का राज काग का विष्ठा, ना भोगूँ इन्द्राणी नूँ"
मेरे "सतगुरु रामपाल जी साहेब" की महिमा का बखान किन शब्दों में करुँ कि जिनके चरणों के धुल की महिमा (तत्वग्यान) ने इस तुच्छ जीव को कौंआ से हन्स बना दिया| जो नीर व क्षीर को अलग-अलग करके केवल तत्व को ही ग्रहण करता है |
मेरे सतगुरु ने ऐसा राह/शास्वत स्थान बता/दिखा दिया है, जो देश-दुनिया, समाज व कुल-परिवार की आधारहीन रीति-रिवाजों व आडम्बरों को छोंड़कर परमात्मा के संविधान {वेद, गीता, बाईबल, कुर्आन-शरीफ व गुरुग्रंथ-साहिब} से प्रमाणित तत्वग्यान से उस एक ही पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त कर दिया है कि जहॉ जाने के बाद जीव पुनः इस संसार (जन्म-मरण/चौरासी) में नहीं आता |
उस परमधाम/सतलोक की महिमा बताते हूए सतगुरु कहते हैं कि :-
शंखों लहर मेहर की ऊपजे, कहर नहीं जहॉ कोई |
दास गरीब अचल अविनाशी, सुख का सागर सोई ||
और हम भूले हूए जीवों को जगाते हूए कहते हैं कि :-
मन तू चल रे सुख के सागर, जहॉ शब्द सिंधु रत्नागर ||
ऐ मुसाफिरों जागो!!! ऊपर से सजी और अंदर से खोखली, यहॉ के नाशवान व झूठी बकवासों में उलझकर यह अनमोल मानव जनम के यूँ ऐसे बरबाद न करो| आप अपने मूल पिता/सत्य को नहीं जानने के कारण (त्रिगुणी) नशे में इसी झूठे संसार को और यहॉ के आधारहीन रीतिरिवाजों को सच्चा समझ बैठे हो | जब आपको भी यह सतग्यान हो जाएगा तो आप भी दुनिया के बकवासों को छोंड़कर इसी राम में रम जाओगे |
इसलिए यह दास हाथ जोंड़कर आपसे निवेदन करता है कि "साधना चैनल" पर हमारे परमपिता ने नीर और क्षीर को अलग-अलग करके बता रहे हैं, अवश्य समय निकालिए और प्रतिदिन सायं ०७:४० से ०८:४० तक "जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज" का तत्वग्यान को जरुर श्रवण करें और अपना कल्याण करें |
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#रामभजन_बिन_कैसीदिवाली
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