30 जुलाई 17 को नारनौल,हरियाणा मे संत रामपाल जी का आयोजित सत्संग श्रवण करके व अपने साथ 60 ' जीने की राह' पुस्तक' ले उर्मिला नाम की 47 वर्षीय माई हरियाणा रोडवेज की बस मे बैठ अपने गाव अटैली की तरफ चल पडी।
कुछ किलोमीटर चलने पर वह रोडवेज बस रिवाडी से आरही दूसरी रोडवेज बस से सीधे टकरा जाती है। जिसमे ड्राईवर समेत 13 व्यक्तियो की मौत हो जाती है कुछ घायल हो जाते है।
संत रामपाल जी की शिष्या उर्मिला बहन ड्राईवर के साथ वाली लम्बी सीट पर बैठी थी और उन्हे खरोच बीनही आयी।
उनके अनुसार बस टकराते के साथ ही बम फूटने जैसा धमाका हुआ तो कुछ समय तक अपना होश खो देने के बाद जब उन्हे होश आया तो उनके चारो ओर डेड बोडीज थी, और पुलिस वाले उनको घसीट कर बस से बाहर निकाल रहे थे,उर्मिला बहन को बी मृत जानकर एक पुलिस वाले ने उनका हाथ पकड खीचना चाहा तो वो होश मे आ गयी,और कहा की वो अपने आप उठ सकती है वह घबरा गयी वहा का माहोल देख और पुलिस वाले से कहा भाई मेरी किताब बी है मेरे साथ इनको उठवा दो, पुलिस वाला बोला ताई किताब बी लेरी है के तब वह पुलिस कर्मी किताबो का बंडल उठा बडे प्रेम से उस बहन को बाहर लाये,और कहा की आप यहा खडे हो जाओ और पूछा आप ठीक हो ना,कोई बस आते ही आप को उसमे बिठा देगे।
तब उर्मिला बहन को ऎसे लगा जैसे वह पुलिस वाला गुरु जीजैसा लग रहा था।
बहन ने कहा की आज तो परमत्मा ने उन्हे जीवन दान दिया हैआमने सामने की टक्कर से बचाना और वो बी सबसे आगे की सीट पर से।
वहा पर मृत शरीरो को एम्बुलैंस मे डाल पोस्ट मार्टम के लिये बी ले जा रहे थे,तब उन्हे दूसरी बस मे बिठा उनके घर भेज दिया। जय हो बंदी छोड सदगुरू रामपाल जी महाराज जी की।
नीचे अखबार की कटींग मे केवल एक मृत ड्राईवर दिखाया है,तो दास ने बहन से फोन पे पूछा की अखबार मे तो सिर्फ एक मृत दिखाया है,तो वह बोली की सब वहा बात कर रहे थे की 13 लोग मर चुके हैऔर उन्हे पोस्टमारटम हेतु एम्बुलैस मे डाल ले गये।
अब मिडिया यहा बी झूठ का सहारा ले रहा है,जाने क्यो।
यह घटना एकदम सच्ची है दास ने खुद उन बहन से बात कर सारी घटना की जानकारी ली है। और माई ने ये बी कहा की ये उनका तीसरी बार जीवन दान संत रामपाल जी ने दिया है और वह अपने सारे समय मे केवल पुस्तक सेवा ही करती है और आज बी वह पुस्तक सेवा नीमराना मे कर रही है। सत साहेबजी
कुछ किलोमीटर चलने पर वह रोडवेज बस रिवाडी से आरही दूसरी रोडवेज बस से सीधे टकरा जाती है। जिसमे ड्राईवर समेत 13 व्यक्तियो की मौत हो जाती है कुछ घायल हो जाते है।
संत रामपाल जी की शिष्या उर्मिला बहन ड्राईवर के साथ वाली लम्बी सीट पर बैठी थी और उन्हे खरोच बीनही आयी।
उनके अनुसार बस टकराते के साथ ही बम फूटने जैसा धमाका हुआ तो कुछ समय तक अपना होश खो देने के बाद जब उन्हे होश आया तो उनके चारो ओर डेड बोडीज थी, और पुलिस वाले उनको घसीट कर बस से बाहर निकाल रहे थे,उर्मिला बहन को बी मृत जानकर एक पुलिस वाले ने उनका हाथ पकड खीचना चाहा तो वो होश मे आ गयी,और कहा की वो अपने आप उठ सकती है वह घबरा गयी वहा का माहोल देख और पुलिस वाले से कहा भाई मेरी किताब बी है मेरे साथ इनको उठवा दो, पुलिस वाला बोला ताई किताब बी लेरी है के तब वह पुलिस कर्मी किताबो का बंडल उठा बडे प्रेम से उस बहन को बाहर लाये,और कहा की आप यहा खडे हो जाओ और पूछा आप ठीक हो ना,कोई बस आते ही आप को उसमे बिठा देगे।
तब उर्मिला बहन को ऎसे लगा जैसे वह पुलिस वाला गुरु जीजैसा लग रहा था।
बहन ने कहा की आज तो परमत्मा ने उन्हे जीवन दान दिया हैआमने सामने की टक्कर से बचाना और वो बी सबसे आगे की सीट पर से।
वहा पर मृत शरीरो को एम्बुलैंस मे डाल पोस्ट मार्टम के लिये बी ले जा रहे थे,तब उन्हे दूसरी बस मे बिठा उनके घर भेज दिया। जय हो बंदी छोड सदगुरू रामपाल जी महाराज जी की।
नीचे अखबार की कटींग मे केवल एक मृत ड्राईवर दिखाया है,तो दास ने बहन से फोन पे पूछा की अखबार मे तो सिर्फ एक मृत दिखाया है,तो वह बोली की सब वहा बात कर रहे थे की 13 लोग मर चुके हैऔर उन्हे पोस्टमारटम हेतु एम्बुलैस मे डाल ले गये।
अब मिडिया यहा बी झूठ का सहारा ले रहा है,जाने क्यो।
यह घटना एकदम सच्ची है दास ने खुद उन बहन से बात कर सारी घटना की जानकारी ली है। और माई ने ये बी कहा की ये उनका तीसरी बार जीवन दान संत रामपाल जी ने दिया है और वह अपने सारे समय मे केवल पुस्तक सेवा ही करती है और आज बी वह पुस्तक सेवा नीमराना मे कर रही है। सत साहेबजी
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