हम हमारे इतिहास में जाएं तो हमें ज्ञान होता है की बड़े-बड़े महापुरुषों को जिन्होंने भगवान का अवतार भी धारण किया एवम इस पृथ्वी लोक पर रहने वाले बुद्धिजीवी राजा-महाराजाओं को भी इनकी आवश्यकता पड़ी है
ऐसा क्यों हुआ
1 क्या भगवान श्री कृष्ण जी मैं ज्ञान नहीं था
2 क्या भगवान श्री रामचंद्र जी को ज्ञान नहीं था
3 क्या महात्मा बुद्ध पागल थे
4 क्या महात्मा सुकरात मैं बुद्धि नहीं थी
5 क्या आदि शंकराचार्य जी पागल थे
6 क्या राजा भृतहरि मैं ज्ञान नहीं था
7 क्या गोपीचंद जी भी मूर्ख थे
8 क्या स्वामी विवेकानंद जी कुशाग्र बुद्धि नहीं थे
9 क्या मीराबाई पागल थी
इन सभी महापुरुषों ने अवतारों ने अपने जीवन में इन गुरु संत बाबा औ की आवश्यकता ही नहीं अपितु महत्वपूर्ण आवश्यकता समझी थी अब हमें विचार करना चाहिए कि फिर हमें इन की आवश्यकता क्यों नहीं होनी चाहिए
सनातन धर्म प्रेमी बंधुओं यही तथ्य दास को इस मार्ग में लेकर आया है विचार करना चाहिए यह सभी ऊपर बताए गए अवतार और महापुरुष कोई भिखारी नहीं थे सभी अच्छे परिवार से संपन्न राजाओं के पुत्र थे
अब हमें विचार करना चाहिए कि हम हमारी बुद्धि से संत गुरु बाबाओं की पहचान नहीं कर सकते हैं
क्योंकि एक सिद्धांत है हम अपने से कम बुद्धि वाले को ही पहचान सकते हैं जैसे एक छात्र अध्यापक को पूर्ण रुप से नहीं समझ सकता है.
आज हमें पहचान के लिए मार्गदर्शन के रूप में सनातन धर्म के शास्त्रआधार रखकर पहचान करनी चाहिए तभी हमें असली और नकली संतों की पहचान हो पाएगी
संत रामपाल जी महाराज का लक्ष्य केवल यही है कि हमें इस मानव जीवन का कल्याण करवाने के लिए इस अनमोल जीवन को सफल बनाने के लिए असली संत को पहचान कर शरण ग्रहण कर ले लेनी चाहिए और नकली ढोंगी पाखंडियों को छोड़कर उन से पीछा छुड़ा लेना चाहिए जिससे हमारा मानव जीवन सफल हो शास्त्रों के अनुसार भक्ति करके यहां रहे तब तक सुख शांति से रहें यहां से जाएं तो मोक्ष प्राप्त करके जाएं अर्थार्थ 8400000 योनियों से मुक्ति प्राप्त करके जाना ही इस मनुष्य जीवन का अंतिम लक्ष्य है इस जन्म मरण से पीछा छूटे यही संत रामपाल जी महाराज का अंतिम लक्ष्य है उनके अनुयायियों की आप सब से प्रार्थना है सत्य को स्वीकार करना चाहिए हम सबको ब्राह्मण बनना है !
ऐसा क्यों हुआ
1 क्या भगवान श्री कृष्ण जी मैं ज्ञान नहीं था
2 क्या भगवान श्री रामचंद्र जी को ज्ञान नहीं था
3 क्या महात्मा बुद्ध पागल थे
4 क्या महात्मा सुकरात मैं बुद्धि नहीं थी
5 क्या आदि शंकराचार्य जी पागल थे
6 क्या राजा भृतहरि मैं ज्ञान नहीं था
7 क्या गोपीचंद जी भी मूर्ख थे
8 क्या स्वामी विवेकानंद जी कुशाग्र बुद्धि नहीं थे
9 क्या मीराबाई पागल थी
इन सभी महापुरुषों ने अवतारों ने अपने जीवन में इन गुरु संत बाबा औ की आवश्यकता ही नहीं अपितु महत्वपूर्ण आवश्यकता समझी थी अब हमें विचार करना चाहिए कि फिर हमें इन की आवश्यकता क्यों नहीं होनी चाहिए
सनातन धर्म प्रेमी बंधुओं यही तथ्य दास को इस मार्ग में लेकर आया है विचार करना चाहिए यह सभी ऊपर बताए गए अवतार और महापुरुष कोई भिखारी नहीं थे सभी अच्छे परिवार से संपन्न राजाओं के पुत्र थे
अब हमें विचार करना चाहिए कि हम हमारी बुद्धि से संत गुरु बाबाओं की पहचान नहीं कर सकते हैं
क्योंकि एक सिद्धांत है हम अपने से कम बुद्धि वाले को ही पहचान सकते हैं जैसे एक छात्र अध्यापक को पूर्ण रुप से नहीं समझ सकता है.
आज हमें पहचान के लिए मार्गदर्शन के रूप में सनातन धर्म के शास्त्रआधार रखकर पहचान करनी चाहिए तभी हमें असली और नकली संतों की पहचान हो पाएगी
संत रामपाल जी महाराज का लक्ष्य केवल यही है कि हमें इस मानव जीवन का कल्याण करवाने के लिए इस अनमोल जीवन को सफल बनाने के लिए असली संत को पहचान कर शरण ग्रहण कर ले लेनी चाहिए और नकली ढोंगी पाखंडियों को छोड़कर उन से पीछा छुड़ा लेना चाहिए जिससे हमारा मानव जीवन सफल हो शास्त्रों के अनुसार भक्ति करके यहां रहे तब तक सुख शांति से रहें यहां से जाएं तो मोक्ष प्राप्त करके जाएं अर्थार्थ 8400000 योनियों से मुक्ति प्राप्त करके जाना ही इस मनुष्य जीवन का अंतिम लक्ष्य है इस जन्म मरण से पीछा छूटे यही संत रामपाल जी महाराज का अंतिम लक्ष्य है उनके अनुयायियों की आप सब से प्रार्थना है सत्य को स्वीकार करना चाहिए हम सबको ब्राह्मण बनना है !
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