कबीर परमात्मा है, परम् सत्य है।प्रत्येक युग में एवं विशेष पात्र पर अनुग्रह हेतु कभी भी प्रकट होते है।चारो युगों में क्रमशः सत्सुकर्र्त, मुनिंद्रर,करुणामय व कबीर नाम से प्रकट हुए है।स्वसंवेद के मूल ज्ञान व शिक्ष।ओ के प्रणेता के रूप में कबीर ज्ञान गंगा को सारे धर्मो के संत, महंत व आचार्य गण प्रमुखतः बखान करते हैं।पद्मश्री अलंकृत'बंसी कौल'कहते है कि "कबीर अपनेआप में सोशल मूवमेंट है, सेक्युलर मूवमेंट भी है, स्प्रिचुअल मूवमेंट भी है।कबीर में वे सब चीजें है, क्यों कि आज वे ही है जो इतने प्रासंगिक है।हमे भी लगा कि उनके माध्यम से समाज में जो तनाव है, उस पर चर्चा की जा सकती है।कबीर का समय भी वैसा ही समय था, जिस तरह आज है।फर्क सिर्फ सन का है।कोशिश यही की गई कि कबीर के माध्यम से हम आज की बात कर सकें।
समाज में रचनात्मकता निर्मित करनेमें कबीर एक आन्दोलन है।स्प्रिचुअल मूवमेंट की बात करे तो सृष्टि रचना का यथार्थ मूलज्ञान व मोक्ष का मूलमंत्र व विधि(गीता जी ॐ तत सत) एक मात्र कबीर जी द्वारा ही प्रदत्त होता आया है। इसी कारण अब तक जिन्होंने भी "यथार्थ मोक्ष " पाया, वे कबीर के ही हंस (शिष्य )है।जैसे-लोमश ऋषि, कुष्टम ऋषि, धनुष मुनि, गुप्त मुनि से लेकर सनकादिक,दत्तात्रेय जी, नारद जी, ऋषभनाथ जी, राजा जनक, राजा योगधीर, राजा भूपाल, राजा अमरसिंह आदि।साथ ही गरुड़ जी, दुर्वासा ऋषि, कागभूषण्ड जी, वीर हनुमान जी, गोरखनाथ जी, मंदोदरी, विभीषण, रानी इंदुमति, विचित्र वधु, मधुकर आदि प्राचीन समय के हुए।
कलयुग में कबीर के शिष्य हुए है--सम्राट इब्राहिम अधम, शेख मंसूर मस्ताना, शिवली,राबिया, जिवा-दत्ता, धर्मदास जी, महाराज वीरसिंह, नवाब बिजलिखा, संत नामदेव, संत रविदास, मीराबाई, बादशाह सिकन्दर लोधि, गुरुनानक देव जी, संत गरीबदास जी आदि असंख्य हंस हो चुके है ।
वर्तमान में उक्त मुलज्ञान व मंत्र दीक्ष।के ,उक्त परम्परा के एक मात्र अधिकृत संत रामपाल जी है।जिनके सानिध्य में दिव्य धार्मिक भंडारा सार्वजनिक व निशुल्क तौर पर प्रायोजित हैं, जिसमें सर्वसाधारण का हार्दिक निमंत्रण हैं।
إرسال تعليق
कोई सवाल हैं, बेझिझक होकर पूछें, हम आपकी जरूर सहायता करेंगे |